विनोबा भावे का राजनीतिक दर्शन: एक विमर्श
Keywords:
सर्वोदय, लोकनीति, ग्राम स्वराज्य, लोकतंत्र, लोकशक्ति, राष्ट्रवाद, पंथनिरपेक्षता।Abstract
इस शोध-पत्र में नैतिकता एवं आध्यात्मिकता की आधारशिला पर स्थापित विनोबा के राजनीतिक दर्शन का विश्लेषण किया गया है। सर्वोदय की संकल्पना में अटूट विश्वास के साथ विनोबा दंडशक्ति पर आधारित पारंपरिक राजनीति के स्थान पर लोकशक्ति पर आधारित लोकनीति की स्थापना करना चाहते हैं। गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित सत्य, अहिंसा, करुणा, न्याय पर आधारित उनका चिंतन एक विकेंद्रीकृत, अहिंसक एवं सहभागी राजनीतिक व्यवस्था की परिकल्पना करता है, जिसका आधार उनकी ग्राम स्वराज्य की धारणा पर अवलंबित है। शोध पत्र में पारंपरिक शासन पद्धतियों की आलोचना, दलविहीन लोकतंत्र, राष्ट्रवाद एवं पंथनिरपेक्षता पर उनके विचारों का विश्लेषण किया गया है। वह वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा में विश्वास रखते हुए राष्ट्रीय सीमाओं से परे एक वैश्विक नैतिक व्यवस्था की कल्पना प्रस्तुत करते हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि उनका राजनीतिक दर्शन सत्ता प्रधान राजनीति का एक रचनात्मक विकल्प प्रस्तुत करता है, जिसमें जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता, असहिष्णुता, लोकतांत्रिक मूल्यों के हा्रस, उग्र व्यक्तिवाद जन्य समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रस्तुत करने का सामथ्र्य है।
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