विनोबा भावे का राजनीतिक दर्शन: एक विमर्श

Authors

  • विवेक कृष्ण असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, हिंदू काॅलेज, मुरादाबाद Author

Keywords:

सर्वोदय, लोकनीति, ग्राम स्वराज्य, लोकतंत्र, लोकशक्ति, राष्ट्रवाद, पंथनिरपेक्षता।

Abstract

इस शोध-पत्र में नैतिकता एवं आध्यात्मिकता की आधारशिला पर स्थापित विनोबा के राजनीतिक दर्शन का विश्लेषण किया गया है। सर्वोदय की संकल्पना में अटूट विश्वास के साथ विनोबा दंडशक्ति पर आधारित पारंपरिक राजनीति के स्थान पर लोकशक्ति पर आधारित लोकनीति की स्थापना करना चाहते हैं। गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित सत्य, अहिंसा, करुणा, न्याय पर आधारित उनका चिंतन एक विकेंद्रीकृत, अहिंसक एवं सहभागी राजनीतिक व्यवस्था की परिकल्पना करता है, जिसका आधार उनकी ग्राम स्वराज्य की धारणा पर अवलंबित है। शोध पत्र में पारंपरिक शासन पद्धतियों की आलोचना, दलविहीन लोकतंत्र, राष्ट्रवाद एवं पंथनिरपेक्षता पर उनके विचारों का विश्लेषण किया गया है। वह वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा में विश्वास रखते हुए राष्ट्रीय सीमाओं से परे एक वैश्विक नैतिक व्यवस्था की कल्पना प्रस्तुत करते हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि उनका राजनीतिक दर्शन सत्ता प्रधान राजनीति का एक रचनात्मक विकल्प प्रस्तुत करता है, जिसमें जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता, असहिष्णुता, लोकतांत्रिक मूल्यों के हा्रस, उग्र व्यक्तिवाद जन्य समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रस्तुत करने का सामथ्र्य है।

Downloads

Download data is not yet available.

References

भावे, विनोबा, लोकनीति, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, वाराणसी, 1963, पृ013

नरगोलकर, बसंत, दि क्रीड आॅफ विनोबा, भारतीय विद्या भवन, बम्बई, 1995, पृ0 162

भावे, विनोबा, भूदान से ग्रामदान, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, काशी, 1956, पृ0 44

भावे, विनोबा, लोकनीति, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, वाराणसी, 1999, पृ0 14

तदैव, पृ0 14-15

तदैव, पृ0 50

तदैव, पृ0 49

भावे, विनोबा, भूदान से ग्रामदान, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, काशी 1956, पृ0 41

नरगोलकर, बसंत, दि क्रीड आॅफ विनोबा, भारतीय विद्या भवन, बम्बई, 1995, पृ0 162

नागर, डाॅ0 पुरूषोत्तम, आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिंतन, राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, 1984, पृ0 640

विनोबा साहित्य, खण्ड-16, तीसरी शक्ति, लक्ष्मीनारायण देवथान, वर्धा, 1996, पृ0 147

भावे, विनोबा, सर्वोदय विचार और स्वराज्यशास्त्र, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, काशी पृ0 176-177

धर्माधिकारी, दादा, सर्वोदय दर्शन, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, वाराणसी, 1983, पृ0 83

तदैव, पृ0 120

भावे, विनोबा, लोकनीति, सर्व सेवा संघ प्रकाशन, वाराणसी, 1963, पृ0 32

तदैव, पृ0 32-33

विनोबा: व्यक्तित्व एवं विचार, सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, 1971, पृ0 326

वर्मा, वी0पी0, आधुनिक भारतीय चिंतन, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल प्रकाशन, आगरा, पृ0 82

Downloads

Published

28-07-2025

Issue

Section

Research Articles

How to Cite

[1]
विवेक कृष्ण, “विनोबा भावे का राजनीतिक दर्शन: एक विमर्श”, Int J Sci Res Humanities and Social Sciences, vol. 2, no. 4, pp. 182–186, Jul. 2025, Accessed: Sep. 18, 2025. [Online]. Available: https://www.ijsrhss.technoscienceacademy.com/index.php/home/article/view/IJSRHSS25389